अमृत मिशन से 3 साल में 65 हजार घरों तक जानी थी पाइपलाइन, कोरोना काल में मजदूर गायब

VLC@ .अमृत मिशन से 3 साल में 65 हजार घरों तक जानी थी पाइपलाइन

कोरोना की वजह से राजधानी के 30 हजार से ज्यादा मकानों में अमृत मिशन के तहत पाइपलाइनें बिछाई ही नहीं जा सकीं। वजह यह है कि दो बार के लॉकडाउन और राजधानी में बेतहाशा संक्रमण की वजह से मजदूर पिछले साल मार्च-अप्रैल में शहर से गए तो अब जाकर लौटे हैं। अमृत मिशन में राजधानी में 2021 तक 65 हजार घरों में सीधे पानी पहुंचाने के लिए 800 किमी पाइपलाइनें बिछानी थीं।

मजदूर नहीं होने से जमीन काम सवा साल रुका रहा। मजदूर अब लौटे हैं लेकिन बारिश शुरू हो गई। जानकारों के मुताबिक इस मौसम में पाइपलाइन के लिए गड्‌ढे खोदना मुश्किल भी होगा और खतरनाक भी। इसलिए बारिश बीतने के बाद अगर काम युद्धस्तर पर भी किया गया, तो 30 हजार घरों तक पानी पहुंचाने में कम से कम एक साल लग जाएगा। राजधानी में अमृत मिशन में 65 हजार घरों तक पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने की योजना में पिछले साल तक 35 हजार घर कवर कर लिए गए थे। इसके बाद कोरोना की वजह से काम सवा साल प्रभावित था ही, अब दूसरी दिक्कतें भी आ रही हैं।

भास्कर की पड़ताल में पता चला कि शहरी क्षेत्र में पीने का पानी पहुंचाने के लिए 3 तरह की योजनाओं पर काम चल रहा है। इसमें शहरी इलाके में 65 हजार घरों तक पाइपलाइनें बिछाना तथा निगम में नए जुड़े जोरा, कचना, आमासिवनी, डूंडा, बोरियाखुर्द, देवपुरी और डूमरतराई में घरों तक डिस्ट्रीब्यूशन लाइनें पहुंचाना शामिल हैं। तीसरा काम स्मार्ट सिटी करेगी। कंपनी रायपुर में एबीडी एरिया के 777 एकड़ क्षेत्र में 30 हजार घरों तक 24 घंटे पानी सप्लाई के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। ये तीनों प्रोजेक्ट अलग चल रहे हैं। इनमें से शहरी इलाके में घरों तक पाइपलाइन पहुंचाने का काम तेज था, लेकिन यही थम गया है।

घनी बसाहट में और भी कारणों से काम रुका
शहर में अमृत मिशन की करीब 800 किमी पाइप लाइन बिछाई जानी हैं। आउटर इलाकों में जहां आबादी और निर्माण बेहद कम है, वहां रफ्तार से काम हो गया है। लेकिन अंदरूनी इलाकों में खासतौर पर ऐसी जगहें जो नेशनल हाईवे, रेलवे या पीडब्ल्यूडी की सड़क या जमीन का हिस्सा है, वहां मेन पाइप लाइन बिछाने के लिए अनुमति लेने में ही हफ्तों लग रहे हैं। इसके बावजूद, दूसरी एजेंसियां छोटे-छोटे पैच के लिए ही अनुमति दे रही हैं, अर्थात एक साथ काम नहीं हो पा रहा है। ऐसे इलाके जहां घनी और तंग बस्तियां हैं, वहां भी ग्राउंड वर्क करना मुश्किल हो रहा है।

टंकियां 14 में से 9 ही बन पाईं, बाकी अधूरी
अमृत मिशन के तहत राजधानी में घरों तक पानी पहुंचाने के लिए 14 बड़ी पानी की टंकियां बनाई जानी हैं। तीन साल में सिर्फ 9 टंकियां ही बनी हैं, जिनमें रामनगर, श्यामनगर, कचना और आमासिवनी शामिल हैं। बैरनबाजार, फुंडहर, लाभांडी, रायपुर और कुकुरबेड़ा में टंकियों का हाल में भूमिपूजन ही हुआ है। जो टंकियां बनीं, उनसे 35 हजार घरों तक पानी पहुंचाया जा रहा है। बची हुई 5 टंकियां जब तक नहीं बनतीं और डिस्ट्रीब्यूशन लाइनें शेष 30 हजार घरों तक नहीं पहुंचतीं, यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाएगा।

स्मार्ट सिटी को एबीडी एरिया में बिछाने हैं 164 किमी पाइप
स्मार्ट सिटी के एबीडी इलाके में मोतीबाग की पानी की टंकी से म‌ोतीबाग, आमापारा चौक, आजाद चौक, पुरानी बस्ती पुलिस चौकी, कालीबाड़ी चौक, पुलिस ग्राउंड चौक, भगतसिंह चौक का पूरे इलाके में पानी की सप्लाई का नया सिस्टम बनाया जाना है। इस प्रोजेक्ट में भी अंदरूनी इलाके में नए सिरे से लाइनें बिछेंगी। गंज टंकी से तेलघानी नाका, शास्त्री चौक, घड़ी चौक, स्टेशन चौक, गुरू गोविंद चौक के इलाके में घरों तक पानी जाएगा। 73 करोड़ के इस प्लान में 30 हजार घरों तक पानी पहुंचेगा। मोतीबाग से 5.1, गंज टंकी से 3.1 एमएलडी पानी सप्लाई होगा।

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