25 साल से आंगनबाड़ी किराए के मकान में संचालित

VLC@राजनांदगांव. ग्राम पंचायत पेंदोड़ी के आश्रित ग्राम तोड़के में आंगनबाड़ी भवन को पंचायत ने 2011-12 में कार्य पूर्ण होना बताया। जबकि हकीकत में निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। वहीं इस भवन में शौचालय पानी,बिजली की भी कोई सुविधा नही है। आंगनबाड़ी भवन निर्माण कराने  के लिए सवा लाख की स्वीकृति 2007- में दी गई थी। भवन निर्माण कराने के लिए ग्राम पंचायत को निर्माण एजेंसी बनाया गया था।

निर्माण एजेंसी ने 2011 को निर्माण कार्य शुरू किया और 2012 में कार्य पूरा होना बताया। सूत्रों का कहना है कि रिकार्ड में भवन का निर्माण कार्य भी पूरा करा लिया गया है। जबकि हकीकत में भवन निर्माण का कार्य अधूरा पड़ा है। ग्रामीणों का कहना है कि आँगनबाड़ी भवन आधा अधूरा है जहाँ बच्चो के बैठने योग्य नही है जिसके चलते निजी मकान में संचालित कराया जा रहा है।

नही किया गया प्लास्टर और हो गया पूर्ण

ग्रामीण गनसाय सलामे, सुकलुराम हलामी पटेल,देरेश कुमार आर्य,,अनित राम पोटाई,सुरेश आर्य,मनिता बाई, ललेश्वर बाई कृषान।

का कहना है कि भवन निर्माण में भारी लापरवाही व गुणवत्ता की अनदेखी की गई है। लाखों की लागत से बनी बिल्डिंग की अंदर से प्लास्टर नहीं किया गया है। बाहर से रंगरोगन कर दिया गया है।भवन के पिछे हिस्से में दरार पड़ गई कब गिर जाए कोई भरोषा भी नही है।

बाहर से करा दिया चकाचक

आंगनबाड़ी भवन का निर्माण कार्य पूरा दिखाने के लिए बिल्डिंग को बाहर से रंग-रोगन कर चकाचक कर दिया है। जबकि वर्तमान में बिल्डिंग के अंदर न तो प्लास्टर हुआ है न ही खिड़की लगी है ।कब यह भवन गिर जाए इसका भी भरोषा नही पर बिल्डिंग को बाहर से देखने से निर्माण कार्य पूरा होने जैसा लगता है।पर अंदर से पूरी तरह से जर्जर हो चुकी भवन में रोड़ ठेकेदारों ने सीमेंट रख उसका उपयोग गोदाम के रूप में कर रहे है।

किराये के मकान में आँगनबाड़ी संचालित

तोड़के गांव में जब से आंगनबाड़ी खुला है तब से यह आंगनबाड़ी किराये पर संचालित हो रही है।शुरुआति दौर में यह आंगनबाड़ी मनीराम वड्डे के घर संचालित हो रही थी जहाँ उन्हें किराये नही देने पर खाली कराया गया जिसके बाद गांव के ही नरेश कृषान के घर को दो सौ किराये में लेकर बच्चो को पढ़ाया जा रहा है।

आंगनबाड़ी खुद कुपोषण का शिकार

इतने वर्षों बाद भी आंगनबाड़ी केंद्र का भवन नहीं बन पाया है।बना भी है तो आधा अधूरा जो अब तब कभी भी गिरने की स्थिति में है। इसके चलते बच्चे आज भी गांव के निजी मकान में बैठ कर पढ़ने मजबूर हैं। सरकार भले कुपोषण दूर करने के नाम पर करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन नक्सल प्रभावित इस अंदरुनी गांव में योजनाओं की हकीकत साफ नजर आती है। यहां कुपोषण दूर करने के नाम पर खोले गए आंगनबाड़ी केंद्र ही कुपोषण के शिकार नजर आ रहा हैं।

महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते बच्चों को बैठने के लिए किराये का मकान का सहारा लेना पड़ रहा है। हालत ऐसे है कि यहां न शौचालय है न ही लघुशंका जाने की सुविधा। बारिश के दिनों में बच्चों को इस मकान में बैठना भी दूभर हो जाता है।

यह आंगनबाड़ी केंद्र 1996 में खुला तब से गांव के एक निजी मकान में आंगनबाड़ी को संचालित किया जा रहा था जिसके बाद ग्रामीणों की मांग पर 2007 में भवन के लिए स्वीकृति मिली जिसे बनाने ग्राम पंचायत ने एक ठेकेदार को भवन बनाने ठेका दिया पर उसने भी इस भवन निर्माण को अधूरा छोड़ दिया जिसके बाद ग्राम पंचायत सचिव साधु मंडावी भवन निर्माण में भारी लापरवाही व गुणवत्ताहीन आधा अधूरा बना कागजो में पूर्ण बता दिया।

अन्य ग्रामीण हरिचंद बढ़ई,मनीराम वड्डे,मनकुराम ,मनोहर लाल,रामसिंग दुग्गा,देवलू राम दुग्गा ने बताया कि

जिस ठेकेदार को पहले आंगनबाड़ी भवन बनाने का ठेका मिला था ।वह ठेकेदार इस समय ग्राम पंचायत पेंदोड़ी का सरपंच है जब आधा अधूरा व जर्जर हो चुके भवन को तोड़ नया बनवाने की मांग करते है तो सरपंच द्वारा नही बन सकता कहके ध्यान ही नही देता।

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