सरकारी स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर सरकार के दावे भले ही बड़े-बड़े हों लेकिन हकीकत कुछ और
VLC@राजनांदगांव. सरकारी स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने को लेकर सरकार के दावे भले ही बड़े-बड़े हों लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। साथ ही सरकार और शिक्षा विभाग के सभी दावों को खोखला भी साबित करती है। राजनांदगांव जिले में स्कूली शिक्षा का ढांचा पूरी तरह चरमराता दिख रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई स्कूल एक-एक शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं तो कहीं जर्जर व बदहाल भवन में स्कूल संचालित हो रहा है। यही कारण है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला लगातार घट रहा है। डोंगरगढ़ विकासखंड अंतर्गत शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला बागनदी से भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां शिक्षकों की नियुक्ति की मांग लेकर स्कूली बच्चों को अपनी जान जोखिम में डालकर नेशनल हाइवे पर उतरना पड़ा। इस वजह से लम्बे समय से नेशनल हाइवे पर जाम लगा रहा।यह मामला डोंगरगढ़ विकासखण्ड के बागनदी के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला का है। यहां पिछले 10 सालों से एक ही शिक्षक पदस्थ है और इस शाला में वर्तमान में बच्चों की संख्या 82 दर्ज है। 82 बच्चों की शिक्षण की जिम्मेदारी एक ही शिक्षक के कंधे पर है। इसे लेकर कई बार शिकायतें भी की गई लेकिन शिक्षा विभाग के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। अंततः शिक्षकों की नियुक्ति की मांग लेकर मासूम बच्चों को नेशनल हाइवे पर उतरना पड़ा। बच्चों ने सुबह से नेशनल हाइवे 6 पर चक्का जाम कर दिया। इसके बाद प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई और बरसों से कुम्भकर्णीय नींद में सोया प्रशासन हरकत में आया। मौके पर प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे और उन्होंने समस्या के निराकरण के लिए आश्वासन दिया। इसके बाद मान मनौव्वल के बाद स्थिति सामान्य हो पाई। वहीं कलेक्टर ने मामले की गंभीरता से लिया। इसके बाद तत्काल 2 शिक्षकों की व्यवस्था करने के आदेश जारी किया गया है।
राजनांदगांव से विपुल कनैया