जापान में भी बजता है भारतीय संस्कृति का डंका, हिंदू देवी देवताओं की इस नाम से होती है पूजा
Indian Culture in Japan: जापान में आज भी भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। यहां कई हिंदू-देवी देवताओं की पूजा भी की जाती है। यहां तक की कई शहरों के नाम भी हिंदू देवताओं के नाम पर हैं। जापान में गणेश, ब्रह्मा, गरुड़, वायु और वरुण देवता की पूजा की जाती हैं।
जापान में भगवान गणेश को अलग नाम से जाना जाता है। यहां भगवान गणेश को कांगितेन के नाम से जाना जाता है। जो जापानी बौद्ध धर्म से संबंध रखते हैं। कांगितेन कई रूपों में पूजे जाते हैं, लेकिन इनका दो शरीर वाला स्वरूप सर्वाधिक प्रचलित है। चार भुजाओं वाले गणपति का भी वर्णन यहां मिलता है। जापान के क्योटो में एक बड़ा कांगितेन मंदिर है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सम्राट गिकोगन ने 1372 ई. में किया था।
किचिजोई में माता लक्ष्मी का मंदिर
जापान में एक प्रसिद्ध शहर है किचिजोई। जापान घुमने जाने वाले पर्यटक इस शहर को देखने जरूर जाते हैं। यही वह शहर है जिसका नाम हिंदू देवी लक्ष्मी के नाम पर है। किचिजोई का मतलब देवी लक्ष्मी होता है। यहां के लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और उनका मंदिर भी मौजूद है। जिस तरह से भारत में देवी लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जाता है, उसी तरह जापान के इस शहर में भी धन और वैभव के लिए देवी लक्ष्मी यानी कि किचिजाई की पूजा की जाती है।
जापान में संस्कृति भाषा की झलक
बात अगर भाषा की करें तो जापानी भाषा में कई शब्द संस्कृत से लिए गए हैं। यही वजह है कि लक्ष्मी देवी को वहां किचिजोई कहा जाता है। जापानी में संस्कृत और तमिल से करीब 500 शब्द लिए गए हैं। जापान की भाषा काना में कई संस्कृत के शब्द सुनाई देते हैं। बताया जाता है कि काना का आधार संस्कृत है।
जापान में माता लक्ष्मी ही नहीं मां सरस्वती की भी पूजा की जाती है। यहां मां सरस्वती के भी कई मंदिर हैं। बौद्ध धर्म से पहले से ही हिंदू देवी-देवताओं को जापान में पूजा जाता है। जापान में लक्ष्मी, इंद्र, ब्रम्हा, गणेश, गरुड़ व अन्य कई देवी देवताओं की भी पूजा-अर्चना की जाती है। बौद्ध धर्म के संस्थापक सिद्धार्थ गौतम थे और वे एक हिन्दू थे, जो बुद्ध बने। हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म दोनों की उत्पत्ति भारत में हुई और दोनों के बीच बहुत लंबा संबंध रहा है। हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म दोनों में सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और अहिंसा की सीख दी जाती है।